आज थिंकिगपैड प्लेटफ़ॉर्म पर हम बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) मनाने का कारण और उससे जुड़ी कुछ और जानकारी लेकर आये हैं। बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध अनुयायियों के साथ-साथ हिंदुओं के लिये भी खास पर्व है।

बुद्ध पूर्णिमा को बुद्ध जयंती, वेसाक या विशाखा पूजा के नाम से भी जाना  जाता है, बुद्ध पूर्णिमा वैशाख पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। मान्यता है कि राजकुमार सिद्धार्थ (महात्मा बुद्ध) का जन्म इसी दिन 563 ईसा पूर्व में नेपाल के कपिलवस्तु के पास लुम्बिनी में हुआ था। गृहत्याग के बाद सिद्धार्थ ज्ञान की खोज में सात वर्षों तक वन में भटकते रहे। जहाँ उन्होंने कठोर तप किया और अंततः वैशाख पूर्णिमा के दिन बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे उन्हें बुद्धत्व ज्ञान की प्राप्ति हुई। तभी से यह दिन बुद्ध पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है।

बुध का एक नाम तथागत भी है तथागत का अर्थ है आत्मज्ञान की साधना में रहते हुए जिसने परम सत्य को पा लिया हो। भगवान बुद्ध 483 ईसा पूर्व में वैशाख पूर्णिमा के दिन ही पंचतत्व में विलीन हुए थे। इस दिन को परिनिर्वाण दिवस कहा जाता है।

ऐसे करें पूजा:

  1. घर को फूलों से सजाएं और घर में दीपक जलाकर पूजा करें।
  2. बोधिवृक्ष के आस-पास दीपक जलाएं और उसकी जड़ों में दूध विसर्जित कर फूल चढ़ाएं।
  3. ज़रूरतमंद लोगों की मदद करें।
  4. रौशनी ढलने के बाद उगते चंद्रमा को जल अर्पित करें।

गलती से भी ये न करें:

  1. बुद्ध पूर्णिमा के दिन मांस-मदिरा ना खाएं।
  2. घर में किसी भी तरह का कलह ना करें।
  3. किसी को भी अपशब्द ना कहें।
  4. इस दिन झूठ बोलने से बचें।

उम्मीद है thinkingpad.in, “बुद्ध पूर्णिमा” पर्व की पूरी जानकारी आप तक पहुचाने में सफ़ल हुआ और ये आपको पसन्द आया। कृपया इस पोस्ट को भी अपने परिचय के लोगों से शेयर कर के उन्हें भी इस पर्व की महत्ता बताएं और हमारा भी मनोबल बढ़ाएँ।

धन्याद,
टीम थिंकिगपैड