ये बात बिल्कुल सच है की सफलता की शुरुआत सोच से ही होती है।

Thinkingpad.in प्लेटफॉर्म से हम वाराणसी के एक ऐसे युवा पेंटर (चित्रकार) अरविन्द विश्वकर्मा जी से मिले, जिन्होंने अपनी सोच से अपने जीवन को एक सही दिशा दी और बेहद रचनात्मक एवं प्रेरणास्पद कार्य किया।अरविन्द जी ने हमारे देश के 74 वें स्वतंत्रता दिवस पर एक बहुत ही रचनात्मक और अनोखी पेंटिंग बनाई है। जिसमें उन्होंने भारत के तात्कालिक प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी को दस हाथों के साथ दिखाया गया है और सभी १० हाथों में अरविन्द जी ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के कार्यकाल में लागू किये गए १० योजनाओं और बड़े फैसलों को व राम मंदिर के पुनः निर्माण को दर्शाया है। अरविन्द जी की ये पेंटिंग बहुत चर्चा में है, इसे बहुत सराहा गया है, कई सम्मानित न्यूज़ चैनल्स ने उनकी स्टोरी को कवर भी किया।

इसके अलावा अरविन्द जी ने कोरोना महामारी के इस संकट काल को ध्यान में रखते हुए महादेव की पेंटिंग बनाई है, जिसमे महादेव विषपान की जगह कोरोनापान कर रहे हैं और देश को इस महामारी से बचाएंगे ऐसी आशा की है.

अरविन्द जी को अपनी इस सफलता के लिए thinkingpad.in की तरफ से हार्दिक अभिनन्दन।

इसी क्रम में हमने अरविन्द विश्वकर्मा जी से उनके जीवन के बारे में एवं पेंटिंग के लिए उनके सलाह एवं सुझावों को जाना। सफलता के रास्ते पर एक अच्छी प्रतिष्ठा बनाने के बाद भी अरविन्द जी का स्वाभाव बेहद सरल है और निरंतर सीखने का दृष्टिकोण है। अरविन्द जी से की हुई बातों का अनुभव निश्चित रूप से कला क्षेत्र में विशेषकर पेंटिंग क्षेत्र में रूचि रखने वाले युवा वर्ग/लोगों का मार्गदर्शन करेगा।

प्रश्न : अपने बारे में और अपनी शिक्षा के बारे में कुछ बताएं।
उत्तर : मैं अरविन्द विश्वकर्मा वाराणसी / काशी मेरा जन्मस्थान है, मैंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा डी. रे .का. वाराणसी के प्रांगण में पूरी की। मैं बचपन से ही पेटिंग में रुझान रखता था और इसी रुझान के कारण मैंने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से BFA और फिर MFA की डिग्री ली।

प्रश्न : आपको किस तरह की पेंटिंग करना ज्यादा पसंद है, और किन – किन विषयों पर पेंटिंग किया है अपने ?
उत्तर : मुझे राजा रवि वर्मा जी के तरह ही पौराणिक चित्रो का अंकन करना पसंद है, जिसमे भगवान शिव, कृष्णा व बुद्ध के जीवन पर चित्रण करना ज्यादा पसंद है। मेरी चित्रकारी काशी के घाट, बुद्ध जीवन, कृष्ण लीला, नारी सौन्दर्य आदि पर रही है।

प्रश्न : आप अपनी सफलता का श्रेय किसे देना चाहेंगे, किसके कारण आप इस फील्ड में हैं?
उत्तर : माता पिता के आशीर्वाद से और थोड़ी मेहनत और रुझान से ही मैं सफलता के रास्ते पे हूँ माता पिता के कारण ही इस क्षेत्र में आया। पिता जी की ड्राइंग देखकर व बचपन से प्राकृतिक जीवन की ओर प्रभावित रहे। साथ ही साथ राजा रवि वर्मा व एम एफ हुसैन जी की कलाये प्रेरित करती रही है।

प्रश्न : अपने संघर्ष, अनुभव और उपलब्धियों का संक्षेप में बताइये।
उत्तर : आज भी चित्रकला ऐसा विषय है जिसके लिए लोगो का रुझान तो है परंतु कोई भी उसे अपना भविष्य नही बनाना चाहता। मेरी जिंदगी में जो संघर्ष आये उन सब को मैंने शिखर तक पहुंचाने वाली सीढ़ियां माना है।
मुझे कई लोगों ने B.Sc., B.ed. आदि विषयों का चयन करने को कहा, BFA को बेकार भी कहा, परंतु ये सभी केवल सभी के ज्ञान के अभाव के कारण मात्र ही था।

चित्रकला के क्षेत्र में मुझे सभी से प्यार, स्नेह व प्रसिद्धि भी मिली। धीरे धीरे वो एक छोटे से पौधे के समान गगन की ओर अग्रसित होते गया और लोग मुझे मेरी कला के कारण पहचानने लगे।
एक कलाकार (पेंटर) के रूप में मुझे अलग अलग स्तर पर अनेकों पुरस्कार से सम्मनित किया गया व अखबार, समाचार न्यूज चैनल्स में इंटरव्यू भी आया हुआ है।

प्रश्न : क्या कभी आपको ऐसा लगा की आप इस फील्ड से निराश हैं और आपको ये फील्ड छोड़ देना चाहिए, अगर हाँ तो क्यों और नहीं तो कौन सी चीज आपको हर परिस्थिति में इस फील्ड से जोड़ी रही ?
उत्तर :
मैं कभी किसी भी परिस्थिति में अपने इस क्षेत्र से निराश नही रहा अपितु चित्रो के कारण ही मेरे जीवन में एक ज्योति विद्यमान रही है जो मुझे आगे की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करती रही है।

प्रश्न : आपके अनुसार पेंटिंग फील्ड में भविष्य कैसा है, नए बच्चों का मार्गदर्शन आप किस प्रकार करेंगे और भविष्य को लेकर क्या सलाह देंगे ?
उत्तर : मेरा मानना है की वर्तमान समय में समाज में काफी परिवर्तन आ गया है, पढ़ाई के साथ ही साथ बच्चे अन्य ललित कलाओं के छेत्र में भी रुचि रख रहे है। कला भी ऐसी ही एक विधा है जिससे हम अपनी कलात्मक रचनाओ, शिक्षा, प्राइवेट सेक्टर जैसे टेक्सटाइल, फैशन, फ़िल्म जगत में अपना भविष्य बना सकते है। जबरजस्ती नही, बल्कि हृदय से लोगों को अपने रुचिकर विषय को चुनकर आगे बढ़ना चाहिए ताकि हम सब का विकास हो सके।

प्रश्न : वाराणसी में पेंटिंग फील्ड को लेकर क्या कहना चाहेंगे, क्या यह कोई कमियां हैं अगर हाँ तो आपके अनुसार उन कमियों को कैसे ख़त्म किया जा सकता है।
उत्तर : अपने जीवन के अब तक के अनुभवों में मैंने देखा की वाराणसी में पेंटिंग फील्ड को लेकर अत्यन्त दुविधा है, एक आर्टिस्ट को निम्न नजरो से देखा जाता है, जैसे उसने कला पढ़ा तो कुछ भी नही पढ़ा। वह पूणतः स्वतन्त्र नही है अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए, उसके कला का कोई मूल्य नहीं। ऐसा महानगरो में नही है इसी कारण एक आर्टिस्ट उसी ओर भागता है जहां उसको सम्मान मिले और उसकी सोच को एक नई राह, जहां उसे परखने और जानने वाला हो।

Thinkingpad.in का भी यही मत है की सफलता के लिए जिस तरह एक अच्छे विचार का बनना जरूरी हैं उतना ही जरुरी गलत विचारधाराओं का बदलना या ख़त्म होना है।

Thinkingpad.in के माध्यम से हमने भी लोगो को सफल बनाने, उनके हुनर को नए आयाम देने और बढ़ावा देने की कोशिश की है।

अरविन्द विश्वकर्मा जी के उज्जवल भविष्य के लिए Thinkingpad.in की ओर से हार्दिक शुभकामनाये।