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मेरे मन में बाबा विश्वनाथ के अर्ध नारीश्वर रूप से एक विचार बार – बार हिलौरे ले रहा था कि क्या भोलेनाथ का स्वरुप अर्धनारीश्वर है।
इस मंथन का परिणाम यह हुआ कि – शिव + शक्ति = जीवन, सृष्टि, रचना, संसार
अर्थात, हम सभी अर्धनारीश्वर रूप ही है, जिसमे शिव तत्व प्रभावित हुआ वह पुरुष, जिसमे शक्ति तत्व प्रभावित हुआ वह स्त्री और जिसमे दोनों सामान हो तो वह “अर्धनारीश्वर ”
इन्ही विचारों के रचनाकार ब्रम्ह देव व माता सरस्वती के संयुक्त रूप की परिकल्पना, मेरे मानस पटल पर उभरी और मेरे चित्र पटल पर चिन्हित हो गयी।
ब्रम्ह देव रचनाकार हैं। माता सरस्वती ज्ञान हैं, कला कौशल हैं।
कोई भी रचनाकार बिना ज्ञान, बिना कौशल के कुछ भी रचना करने में असमर्थ ही होगा।
उसकी रचना, इनके आभाव, अनगढ़, कुरूप, निष्प्रयोज्य होगा।

अतः मेरी यह कृति रचनाकार + ज्ञान का सम्मिलित रूप है, ताकि श्रेष्ठ रचना हो सके।