Poem त्रिनेत्र धारी By admin 28th February 2021 गंगा के आवेग को तूने जटाओं में है संभाला विष भरे नागों की पहने है गले में माला, मस्तक तेरा है त्रिनेत्र धारी, नंदी बैल की करता है सवारी, अंग तेरे भस्म धारी, भक्तों को लगे फिर भी तेरी छवि अति प्यारी। रचना: अनुपमा सिन्हा