…तो इसलिए वर्षों से है शिवलिंग को जल/दूध और बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा

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नमस्कार दोस्तो, आज हमारी टीम ने काफी गहन रिसर्च और अध्ययन कर के एक और बहुत पुरानी परंपरा और उसके पीछे के वैज्ञानिक तर्क को ढूंढ निकाला है।

महादेव, भोलेनाथ और शिव शंकर प्रभु को जल, दूध, और ताम्र पात्र या बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा हमारे वेदों और पुराणों में वर्णित है, पर क्या आप जानते है इसके पीछे का वैज्ञानिक तर्क !!!!

अगर हम इनको जल दूध और बेलपत्र न अर्पित करे तो आप ये जान कर आश्चर्यचकित रह जायेंगे की हम सभी को बहुत से प्राकृतिक और अप्राकृतिक आपदाओ का सामना करना पड़ सकता है !!! आइए जानते है कैसे ?

वैज्ञानिक कारण:

जैसा कि हम सभी जानते है भगवान शिव जी पिंडुकी कई सारे आकारों में और कई सारे रूप में ज्यादातर जगहों पे विराजमान है, परंतु क्या आप जानते है जिस प्रकार सोने की गुण है उसका कभी न जाने वाला पीलापन, उसी प्रकार पिंडुकि का गुण है की उसमे से हमेशा विकिरण (RADIATION) उत्सर्जित होती रहती है, जो की हम सभी के लिए बहुत से गंभीर बीमारियां, जैसे कैंसर, मानसिक विकृतियां, और भी कई बीमारियों का कारण बन सकती है।

और हम सभी जानते है की इन पिंडुकियो की संख्या असंख्य और अकृतिया कितनी भिन्न है, और इससे आप अंदाजा लगाइए की विकिरण का उत्सर्जन कितनी ज्यादा मात्रा में हो रहा होगा। विकिरण को सबसे ज्यादा सोखने की क्षमता दूध, जल, और ताम्र पत्र (बेल पत्र) में होती है, ये सारी बाते वैज्ञानिक तौर पे सिद्ध भी की गई है कि विकिरण का स्तर पिंडूकी के पास ज्यादा है, और दूध, दही, जल, ताम्र पत्र, भस्म विकिरण के उत्सर्जन को बहुत हद कम करती है इसके लिए ही ये सारी चीजों को अर्पण भगवान को किया जाता है।

यहाँ तक की हमारे शास्त्रों में इन सभी अर्पण होने वाली वस्तुओं के निस्तारण का वर्णन भी किया गया है। ऐसा कहा गया है कि इन सभी चीजों को गंगा, सरोवर, या कुएं में ही निष्कासित करना चाहिए ऐसा करने से कुंड, सरोवर, नदी के अंदर उपस्थित विषाणु इस दूध जल तथा अन्य अर्पण करने वाली वस्तुओं में उपस्थित विकिरण से खत्म हो जाते है, जिससे हमारा वातावरण स्वच्छ एवं शुद्ध होता है।

इन अर्पण होने वाले वस्तु को किसी भी रूप में ज्यादा मात्रा में ग्रहण करना निषेध माना गया है।

दोस्तो हमारे पूर्वजों ने जो भी परंपरा बनाई उसके पीछे कोई न कोई कारण जरूर है, ये सारी परंपरा हमारे स्वास्थ्य और जीवन को सुखमय बनाने लिए आवश्यक है, आज कल के नव युवकों और युवतियों को हर परंपरा के बारे में बताना साथ में उससे जुड़े वैज्ञानिक तथा आध्यात्मिक तर्क को बताना अति आवश्यक है। तो हम आपको, हमेशा ऐसे ही कुछ परंपरा और उससे जुड़े रोचक तथा वैज्ञानिक तथ्य से अवगत कराते रहेंगे ।

हमारा ये प्रयास आपको कैसा लगा नीचे कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं साथ ही साथ अगर जानकारी अच्छी लगी हो तो ज्यादा से ज्यादा साझा करे।

धन्यवाद।
Team Thinkingpad
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