आवा चला तोहके दरशन कराय देही।
असो के नवमी क मेला घुमाय देही।।
मौका निकाला पितर पख त बीत गयल।
देव पख में चरखी अ झलुवा झूलाय देही।।
मौसी आ मामी के सबके बोलाय ला,
बड़की मतरीया के चरचा पठाय दा।
कहबू त मोटर के देबय जुगाड़ हम,
फुरसत निकाला त सबके घुमाय देही।।
असो के नवमी के मेला,,,,
देखा समझ लिहा मेला हव मेला।
घुमय घुमावय के खरचा ई लेला।।
पैसा रुपैया के रखिहा सम्हार के,
नाही त चाई कुल लफड़ा मचाय देही।।
असो के नवमी के मेला,,,,
सिटी फिरहरी,खेलवना,के खरचा में,
लड़िका गदेला कुल जेबा के चरचा में।
कउनो चोरउले किताबी के पन्ना में,
कउनो के दस बीस ज़ेबा में डाल देही।।
असो के नवमी के मेला,,,,
कपारे मे मेहदी,अ पावे महावर।
नखुना मे अलता, आ कान्हे कन्हावार।
बबुआ के चप्पल,आ चट्टी,पनहिया कुल,
मोची के भेज के , चिक्कन चमकाय देही।।
असो के नवमी के मेला,,,,,,,,,
रचना :- Venkteshvar Prasad