आहार में धातुओं का उपयोग: जानें लाभ और हानि

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हम अपनी वेबसाइट ‘thinkingpad.in’ के माध्यम से हमेशा आपको महत्वपूर्ण और फायदेमंद जानकारी देने की पूरी कोशिश करते आये हैं, उसी क्रम में इस ब्लॉग में हम आपके सेहत से जुड़ी बेहद लाभकारी जानकारी लेकर आये हैं।

इस ब्लॉग में, हम संक्षेप में जानेंगे कौन सी धातु के पात्र में खाना बनाने और सेवन करने से हमें कौन-कौन से लाभ या हानि हो सकते हैं।

  1. सोना (Gold): सोने के पात्र में बने भोजन से शरीर का आंतरिक और बाहरी हिस्सा कठोर, बलवान, ताकतवर और मजबूत बनता है। इससे आँखों की रौशनी भी बढ़ती है।
  2. चाँदी (Silver): चाँदी के पात्र में बना भोजन शांति और तेज दिमाग को बढ़ावा देता है, आँखों को स्वस्थ रखता है, और पित्त, कफ, और वायुदोष को नियंत्रित रखता है।
  3. कांसा (Bronze): काँसे के पात्र में खाना खाने से बुद्धि तेज होती है, रक्त में शुद्धता आती है, रक्तपित शांत रहता है और भूख बढ़ाती है। ध्यान रखें कि खट्टी चीजों को इसमें नहीं रखना चाहिए।
  4. तांबा (Copper): तांबे के पात्र में पानी पीने से रोग मुक्ति होती है, रक्त शुद्ध होता है, स्मरण-शक्ति बढ़ती है, और शरीर के विषैले तत्वों को खत्म करता है। लेकिन तांबे के पात्र में दूध नहीं पीना चाहिए।
  5. पीतल (Brass): पीतल के पात्र में खाना बनाने से कृमि रोग, कफ और वायुदोष की बीमारी नहीं होती।
  6. लोहा (Iron): लोहे के पात्र में बने भोजन से शरीर की शक्ति बढ़ती है और लोहा शरीर में जरूरी पोषक तत्वों को प्रदान करता है।
  7. स्टील (Steel): स्टील के पात्रों का उपयोग करने से कोई नुकसान नहीं होता, लेकिन शरीर को भी कोई विशेष फायदा नहीं होता।
  8. एलुमिनियम (Aluminum): एलुमिनियम से बने पात्र का उपयोग करने से शरीर को नुकसान हो सकता है, इससे हड्डियां कमजोर हो सकती हैं और मानसिक बीमारियाँ हो सकती हैं।
  9. मिट्टी (Clay): मिट्टी के पात्रों में खाना पकाने से शरीर को सभी पोषक तत्व मिलते हैं और विभिन्न बीमारियों से बचाव होता है। इससे बने भोजन में पूरे १०० प्रतिशत पोषक तत्व होते हैं।

पानी पीने के लिए भी विशेष पात्र का चयन करना चाहिए, जैसा कि ‘भावप्रकाश ग्रंथ’ में सुझाया गया है।

जलपात्रं तु ताम्रस्य तदभावे मृदो हितम्।पवित्रं शीतलं पात्रं रचितं स्फटिकेन यत्।काचेन रचितं तद्वत् वैङूर्यसम्भवम्।(भावप्रकाश, पूर्वखंडः4)

अर्थात् – पानी पीने के लिए ताँबा, स्फटिक अथवा काँच-पात्र का उपयोग करना चाहिए। सम्भव हो तो वैङूर्यरत्नजड़ित पात्र का उपयोग करें। इनके अभाव में मिट्टी के जलपात्र पवित्र व शीतल होते हैं। टूटे-फूटे बर्तन से अथवा अंजलि से पानी नहीं पीना चाहिए।

हमारा उद्देश्य ‘thinkingpad.in‘ के माध्यम से साझा की गई जानकारी सिर्फ सामान्य सूचना प्रदान करना है और इसे किसी चिकित्सकीय सलाह की विकल्प के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। किसी भी व्यक्तिगत स्वास्थ्य समस्या के लिए उचित निदान तथा इलाज के लिए कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श प्राप्त करें।

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