चाहता हूँ…

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कहीं दूर तेरे साथ,
नई दुनिया बनाना चाहता हूँ।

तुझे बिना बताये
बेहिसाब मोहब्बत करना चाहता हूँ।

समंदर की गहराई में तेरे साथ,
कहीं डूब जाना चाहता हूँ।

गुजरा हुआ हर वक्त
वापस तेरे साथ जीना चाहता हूँ।

मैं तुझमें “मैं” होना चाहता हूँ … 2

रचना : मोहनीश गुप्ता

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