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Poem apni-beti
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अपनी बेटी…

न हँसती है न रोती है, वो बस चुपचाप लेटी है, दरिंदों ने जिसे लूटा…

Poem Beti
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बेटी…

बना हूंँ मैं पिता जब से मेरी पहचान बेटी है, दुआओं में जिसे पाया है…