एक गर्भवती हथिनी के साथ ऐसा, मानवता का अंत है ये..

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कहते हैं की “इंसान” कुदरत की सबसे खूबसूरत रचना है और दुनिया में सभी जीव जन्तुओं से कहीं ज्यादा बुद्धिमान है, यही वजह है की “इंसान” इतना विकास कर पाया है। हाँ ये सच तो जरूर है, इंसान विकसित तो जरूर हुआ है और आज तथाकथित आधुनिक युग में है, जहाँ जीवन को सरल को बनाने के लिए और जीवन को आनंद से भरने के लिए अनगिनत साधन और संसाधन हैं।
लेकिन क्या इस विकास के दौरान इंसान में इंसानियत, प्रेम, करुणा, दया जैसी भावनायें भी विकसित हुई हैं ?
ये सवाल इसलिए क्यों की हर रोज़ सामने आने वाली घटनाओं और खबरों से ऐसा लगता है की इंसान तो जिन्दा है लेकिन इंसानियत मर चुकी है।

लूट, चोरी, डकैती, खून, भ्रस्टाचार, बलात्कार, आतंकवाद और ऐसे ही न जाने कितने संगीन जुर्म हम सबको रोज़ सुनने और देखने को मिलते हैं, ये सब देख और सुन कर हम दुखी होते हैं और कहते हैं की बहुत गलत हुआ, अपराधी को सजा होनी चाहिए। वक्त आगे बढ़ता है और हम उन बातों को भूल कर अपनी – अपनी जिंदगियों में व्यस्त हो जाते हैं।

लेकिन ये अपराध कर कौन रहा है ? दूसरी दुनिया से आये हुए लोग या इसी दुनिया के, हम सब के बीच के ही कुछ लोग ?

आज इंसान अपने फायदे के लिए लगभग सारी हदें पार करता जा रहा है। बात केवल फायदे की हो तो शायद बात एक बार सोची भी जाए लेकिन अपने मजे के लिए भी इंसान दूसरे इंसान को तकलीफ पंहुचा रहा है, धोका दे रहा है, जुर्म कर रहा है – यहाँ तक की सीधे साधे बेजुबान जानवर के साथ भी दरिंदगी की हदें पार की जा रही हैं ।

कोरोना की महामारी से लड़ने में जहाँ आज सब परेशान हैं, अपने लिए इंसानियत और मदद की उम्मीद कर रहे हैं वही आज केरल में एक गर्भवती हथिनी के साथ हुई एक ऐसी घटना सामने आयी है जिसे किया तो कुछ लोगो ने है लेकिन सारी इंसानियत शर्मसार हो रही है, अगर किसी से ये पूछा जाये की इस घटना के बाद आप क्या कहेंगे तो लोगो के पास जबाब तक नहीं है, शर्म से सर निचे झुक जा रहा है, अगर माफ़ी मांगने की बात भी कही जाए तो एक ” सॉरी ” तक नहीं कहा जा सकता क्यों की वो निर्दोष हथिनी अब इस दुनिया में नहीं रही।
हुआ ये की खाने की तलाश करते – करते हथिनी जिस जगह जा पहुंची, वहां के कुछ लोगो ने मजे और मनचलेपन में उसे विस्फोटक से भरा हुआ अन्नानास खिला दिया, वो खाने के बाद विस्फोटक के कारण हथिनी की जान पे बन आयी, दाँत टूट गए और शरीर के अंदरूनी हिस्से बुरी तरह से जख्मी हो गए , तब वो हथिनी शायद थोड़ी राहत पाने के लिए और जान बचाने के लिए नदी के पानी में जा खड़ी हुई । तीन दिन खड़े रहने के बाद भी वो बच न सकी और अपने पेट में अपना बच्चा लिए हुए मर गयी ।

ये बात तो एक हाथी की है, इससे पहले भी इससे कही ज्यादा हैवानियत भरे जुर्म हो चुके हैं। लेकिन क्या हमे सोचना नहीं चाहिए, इंसान जिस भविष्य के लिए दिन रात मेहनत कर रहा है, धोका और जुर्म तक कर रहा है, क्या ऐसे माहौल में हम इंसान अपना भविष्य कहीं से भी सुरक्षित देख रहे हैं ? आज जो गलत चीजे / जुर्म हो रहे हैं वो निश्चित रूप से कल बढ़ने वाले ही हैं क्यों की लोग खुद से सवाल नहीं कर रहे । इंसान को सबसे बुद्धिमान कहा जाता है, तो क्या इंसान इतनी छोटी सी बात नहीं समझ पा रहा की विकास के लिए बेशक बदलाव जरुरी है लेकिन विकास के दौर में हुआ हर बदलवा सही और अच्छा नहीं होता, हम इंसान तभी तक हैं जब तक इंसानियत है।

ये कहना गलत तो नहीं की इंसान खुद की बनाई हुई मुसीबतों से परेशान है बल्कि ये भी कहा जा सकता है की इंसान खुद ही धरती पर मुसीबत है। एक अच्छे भविष्य और अच्छे समाज की तो हर एक इंसान को जरूरत है और उसके लिए नियम और अनुशासन का होना और उनका ठीक से पालन होना जरूरी है। सारे नियम क़ानून तो पहले से बने हुए हैं तो क्या हम लोग उन कुछ चुनिंदा गुनहगारों को सजा नहीं दे सकते जिनके कारण पूरी इंसानियत शर्मसार है ?

ये सारी बातें सिर्फ किसी बात का दुःख जताने की नहीं बल्कि इंसान का अस्तित्व बचाने की हैं। एक समाज हम सब से मिल कर बना है, आप और मैं इस समाज का अभिन्न हिस्सा हैं, तो क्या हम खुद से, अपने सोच को सही कर के अपना खुद का भविष्य सुरक्षित नहीं कर सकते, क्या हम इंसान इतना आगे बढ़ चुके हैं की इसे सही नहीं कर सकते ?

By: Hemant Kumar Viswakarma (Hemant Hemang)

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