शिव की गंगा या गंगा का शिव
यहाँ सबका ही बोलबाला है।
बना बनारस का आधार
वो शिव ही डमरू वाला है।
गौमुख से निकली गंगा,
अब तेरा ही सहारा है।
हर श्रेणी पावन हो जाते
जो तेरे शरण में आया है।
है तेरे नाम से “शिव शम्भु”
काशी का नाम पुकारा है।
बना बनारस का आधार
वो शिव ही डमरू वाला है।
रचना : अरविन्द विश्वकर्मा