है नमन, उस रचयिता को मेरा नमन,
जिसने सृष्टि को रचकर बनाया चमन l
है महाशिल्प, विज्ञान विधाता है जो ,
सृष्टि निर्माणकर्ता कहलाता है जो l
जिसकी कृपा से सृष्टि की शिल्पकला,
सारे देवगढ़ पूजें हैं जिनको सदा l
जिनकी कृपा ने देवों को अस्त्र-शस्त्र दिया,
शिव का त्रिशूल, इंद्र का वज्र रच दिया l
जिसने रावण को लंका बना कर दिया,
कृष्ण रहते जहां द्वारिका रच दिया l
जिनके कर्मों का वेदों में डंका बजा,
पांडवपुरी, सुदामापुरी सब रचा l
आज कलयुग के देवों में सबसे बड़े,
सब मशीनें और कलपुर्जे जिनसे खड़े l
वो जो ब्रह्मज्ञानी और है शिल्पगुरु,
जिनके कर्मों की सदा वंदना मैं करूं l
उस प्रभु विश्वकर्मा को मेरा नमन,
जिसने धरती रची है रचा है गगन l
है नमन, है नमन, है नमन ,है नमन,
उस सृष्टि रचयिता को मेरा नमन l
श्रद्धा सबूरी से शीश झुकाता हूं मैं,
विश्वकर्मा जयंती मनाता हूं मैं ll
जिसने सृष्टि को रचकर बनाया चमन l
है महाशिल्प, विज्ञान विधाता है जो ,
सृष्टि निर्माणकर्ता कहलाता है जो l
जिसकी कृपा से सृष्टि की शिल्पकला,
सारे देवगढ़ पूजें हैं जिनको सदा l
जिनकी कृपा ने देवों को अस्त्र-शस्त्र दिया,
शिव का त्रिशूल, इंद्र का वज्र रच दिया l
जिसने रावण को लंका बना कर दिया,
कृष्ण रहते जहां द्वारिका रच दिया l
जिनके कर्मों का वेदों में डंका बजा,
पांडवपुरी, सुदामापुरी सब रचा l
आज कलयुग के देवों में सबसे बड़े,
सब मशीनें और कलपुर्जे जिनसे खड़े l
वो जो ब्रह्मज्ञानी और है शिल्पगुरु,
जिनके कर्मों की सदा वंदना मैं करूं l
उस प्रभु विश्वकर्मा को मेरा नमन,
जिसने धरती रची है रचा है गगन l
है नमन, है नमन, है नमन ,है नमन,
उस सृष्टि रचयिता को मेरा नमन l
श्रद्धा सबूरी से शीश झुकाता हूं मैं,
विश्वकर्मा जयंती मनाता हूं मैं ll
रचना: लीला धर विश्वकर्मा
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Awesome 👍