जाने कौन घड़ी

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दिल की धड़कन बड़ी बेदर्दी इसने मुझे रुलाया,
जाने कौन घड़ी थी जिसमे ये दिल उनपे आया,
सालों बीत गए पर उनका दिल मैं जीत ना पाया,
यादों से दिल भर आया, नैनो ने अश्क बहाया,
चिड़िया चुग गयी खेत ये “लीला” कुछ भी ना कर पाया,
दूर भी जाकर देख लिया पर उसको भूल ना पाया,
हसी की चिंगारी से इस पत्थर पर आग लगाया,
जाने कौन घड़ी थी, मेरा दिल जब उनपे आया,
रेत सी सांसे निकल रहीं हैं हर पल उसकी यादों में,
तब – तब धड़कन रुक जाती है, जब जब उन्हें भुलाया।

रचना : लीला धर विश्वकर्मा

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