ग़मों की दवा

0

दर्द जो अपने बताये मैंने
तो दोस्त वो इलाज बता रहा है,
गम की दवा बोल के
मुझे वो शराब पिला रहा है,
कोई समझाये उसे भी क्या,
वो पागल तो खुद को ही खुद जला रहा है
जहर मदिरा का पी रहा है,
और जीने के ख्वाब सजा रहा है।
फिर आज तु बात ये मेरी भी सुन ले
ऐ मेरे दोस्त ,
इस शराब में तू अपने दर्द नहीं जिदंगी डुबा रहा है,
गलत कर रहा है,
जो इसे मुश्किलों से बचने की वजह बना रहा है ।

रचना : अनुपमा सिन्हा

Leave A Reply

en English