वो माँ की गोद में बीता जमाना याद आता है,
कभी हंसना, कभी रोना, बिलखना याद आता हैl
दिखाए हैं जमाने ने कई तेवर मगर लीला,
वो माँ का पीटकर दिल से लगाना याद आता हैl
पिता की मार से मां का डराना याद आता है,
छुड़ाकर हाथ का वह भाग जाना याद आता है l
हजारों गलतियां करके भी जो मासूम बनते थे,
वो माँ का जानकर भी मुस्कुराना याद आता है l
वो गुस्सा होकर मां का रूठ जाना याद आता है,
शरारत याद आती है, बहाना याद आता है l
मैं आंखें बंद करती हूं चले आओ कहां हो तुम,
बहाने से बुलाकर पकड़ना याद आता है l
कभी हंसना, कभी रोना, बिलखना याद आता हैl
दिखाए हैं जमाने ने कई तेवर मगर लीला,
वो माँ का पीटकर दिल से लगाना याद आता हैl
पिता की मार से मां का डराना याद आता है,
छुड़ाकर हाथ का वह भाग जाना याद आता है l
हजारों गलतियां करके भी जो मासूम बनते थे,
वो माँ का जानकर भी मुस्कुराना याद आता है l
वो गुस्सा होकर मां का रूठ जाना याद आता है,
शरारत याद आती है, बहाना याद आता है l
मैं आंखें बंद करती हूं चले आओ कहां हो तुम,
बहाने से बुलाकर पकड़ना याद आता है l
रचना- लीला धर विश्वकर्मा
5 Comments
Bahut khub
बहुत खूब
Beautiful words❤️
अति सुन्दर पंक्तियाँ
बहुत मार्मिक