तो इसलिए कहते हैं दो बार “राम – राम”

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मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम सभी के आराध्य हैं, आज आप किसी व्यक्ति से राम के चरित्र के बारे में बात करिये तो आपको जानने को मिलेगा कि हर किसी को बेटा, भाई, छात्र, दोस्त, रिश्तेदार, पति, राजा (शासक), पिता और यहाँ तक की दुश्मन भी श्री राम जैसा चाहिए, श्री राम हर रिश्ते के आदर्श हैं।

आपने, ख़ासकर गाँव में लोगों को मिलने पर “राम-राम” कहते हुए ज़रूर सुना होगा लेकिन क्या कभी आपने ये सोचा कि आदि काल से लोग भगवान श्री राम का नाम दो बार ही क्यूँ लेते हैं एक बार क्यूँ नहीं? पूरी दुनिया मानती है कि सनातन धर्म की सभी मान्यताओं के पीछे कुछ रहस्य कुछ वैज्ञानिक कारण भी जरुर है।

आज थिंकिंगपैड प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से हम आपको दो बार “राम राम” बोलने के कारण की पूरी जानकारी दे रहे हैं।

दरअसल वो गहरा रहस्य ये है कि, हिंदी की शब्दावली में “र” सत्ताईसवाँ शब्द है, “आ”, की मात्रा दूसरा शब्द और “म”, पचीसवाँ शब्द है।

तो उस अनुसार जब हम अब तीनो अंकों का योग करते हैं तो…

27+2+25 = 54

अर्थात् एक राम का योग 54 होता है, इसी तरह दो “राम – राम ” का कुल योग

54+54=108

हम जानते हैं कि जप या ध्यान, 108 मनके की माला गिनकर की जाती है। आपके दो बार “राम – राम” कह देने से ही 108 मनके की माला का जाप पूरा हो जाता है और उसके पुण्य मिलते हैं। पुराणों में भी कहा गया है कलयुग में राम का नाम जापने से मोक्ष की प्राप्ति होगी।

आज समाज को बेहतर बनाने के लिए श्री राम जैसे आचरण की जरुरत है। जिसे हम अपने सोच और अपने आदर्श के रूप में रखते हैं धीरे-2 वैसे ही गुण हमारे अंदर आने लग जाते हैं, अगर हम आधुनिकता और संस्कृति में एक अच्छा सामंजस्य बनाने में सफ़ल हो पाए तो सफलता के साथ सामाजिक सुरक्षा और संतुष्टि भी मिलेगी।

उम्मीद है थिंकिंगपैड प्लेटफ़ॉर्म द्वारा हमारी संस्कृति से जुड़ी यह जानकारी और इसकी सीख आप तक पहुचाने का प्रयास आपको पसन्द आया है, आपसे निवेदन है की अब जिनसे और जहाँ बोल सकें, कृपया “राम – राम” कहें। और इस विचार को यथासंभव शेयर भी कर के हमारे प्रयास को सार्थक बनायें।

धन्यवाद,
टीम थिंकिंगपैड

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