अगर नाराज़ हो मुझसे, तो बस मुस्का के कह देना,
तुम्हारी इस अदा से जिंदगी भर जी तो लेंगे हम ।
जो जाना छोड़ के मुझको, तो बस दिल छोड़ते जाना,
उसी दिल के सहारे, दिललगी दिन रात कर लेंगे।
हमारी बात चुभती थी, तुम्हारे दिल को जितनी भी
जरा सा बैठ के पहलू में दो-दो बात कह लेना।
रचना: लीला धर विश्वकर्मा