चंचल चितवन सुंदर मन,
कितना प्यारा है यह तन,
मुस्कान खिली है चेहरे पर,
नटखट लगता तू हरदम,
करता रहता तू शैतानी,
लेकर चार यार संग,
खुली आसमां में तू है दौड़े,
जैसे लगे हो तेरे पंख,
नहीं किसी से बैर करता,
हरदम भाता सबके मन,
कितना अच्छा प्यारा है,
चंचल चितवन सुंदर मन,,,
स्वरचित रचना: अश्वनी सिंह (मस्तमौला)