छोटी कहानी…

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ये जीवन है बड़ा छोटा मगर लंबी कहानी है,
कोई अपना समझ पाए तो बस उसको सुनानी है ।
ये आंसू है नए लेकिन, कहानी तो पुरानी है,
करें महसुस लब्जों को, जो आंखों की जुबानी है।
जिसके स्वास की आहट से, मेरी स्वास चलती थी,
के अब दीदार उनका, जैसे ख्वाबों की रवानी है।
जिसकी एक हसी से, गम की सारी रात ढलती थी,
हृदय के पीर की गंगा , उसी सागर बहानी है।
भटकता हूं, तड़पता हूं, के बस दीदार हो जाए,
उल्फत ना सही लेकिन ज़रा सी बात हो जाए।
उसी से थी मुहब्बत और उससे ही निभानी है,
ये जीवन है बड़ा छोटा मगर लम्बी कहानी है।।

रचना- लीला धर विश्वकर्मा

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