महादेव तुम्हारी जय हो…
महादेव हो तुम महाज्ञानी हो तुम, हाथ फैलाये खडे़ है हम, देने वाले दानी हो…
महादेव हो तुम महाज्ञानी हो तुम, हाथ फैलाये खडे़ है हम, देने वाले दानी हो…
गंगा के आवेग को तूने जटाओं में है संभाला विष भरे नागों की पहने है…
बेजुबान है वो फिर भी, देखते ही कितनी खुशी जता रहा है। सिर्फ दो बिस्किट…
नादान है इंसान ये समझ नहीं पाता है करता वो है मगर सब तु ही…
आरज़ू, रस्म अदायगी के रिश्तों की नहीं हमे, चाहत है तो बस यही की दिल…
सिर पे जो तेरा हाथ हो निराली फिर तो हर बात हो तेरे जटाओं की…