
काशी में रंग लीला के संग
नवरंग में दुनिया सजी, नव रूप में हर शख्स है। मसानो में होली खेलता, बाबा…
नवरंग में दुनिया सजी, नव रूप में हर शख्स है। मसानो में होली खेलता, बाबा…
चलो रंगों से करके बात, रंगों को बुलाते हैं। खुशियों के हसीं रंगों में, मिलकर…
सुनाई देती है तेरी आवाज़ मुझको धीरे धीरे क्यों, मैं जब भी,जहां जाता हूं.दिल में…
न हँसती है न रोती है, वो बस चुपचाप लेटी है, दरिंदों ने जिसे लूटा…
जहां देखो वहीं सन्नाटा है, यह चाइनीज माल बड़ा झन्नाटा है, हर गली, हर मोहल्ले…
छूता है वही लब जो हृदय के पास होता है, नजर से दूर वालों की तो…
तू मेरी बंद डायरी में दफ़्न फटे पन्नों सा है, जिसमें जख्म मेरा पर निशा…
वो माँ की गोद में बीता जमाना याद आता है, कभी हंसना, कभी रोना, बिलखना…
ऐ जिंदगी, चल फिर एक ख़्वाब सजाते हैं, ख़ुशी पास नहीं तो क्या गम से…