पागलपन जरूरी है
कोई सोना बताता है कोई चांदी बताता है, कोई पत्थर समझ कर के उसे ठोकर…
कोई सोना बताता है कोई चांदी बताता है, कोई पत्थर समझ कर के उसे ठोकर…
कल जो बेटी थी आज वो माँ बन गयी कभी जो आपकी ऊँगली पकड़ कर…
वो माँ की गोद में बीता जमाना याद आता है, कभी हंसना, कभी रोना, बिलखना…
बस यादें रह जाती हैं दिल की सूनी सी गलियों में, जन्मों तक रिश्तों के…
आरज़ू, रस्म अदायगी के रिश्तों की नहीं हमे, चाहत है तो बस यही की दिल…
सिर पे जो तेरा हाथ हो निराली फिर तो हर बात हो तेरे जटाओं की…