सुबह, शाम कोरोना

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सुबह कोरोना, शाम कोरोना,
हो गया है भगवान कोरोना।
काम – धाम सब बन्द हो गये,
घर में बैठे काम करोना।

बाहर जाना बन्द हो गया,
एक जगह, सुबह शाम करोना।
कुदरत ने क्या खेल रचाया
हो गया दिन रात का रोना।

बाहर जाऊँ, पुलिस धो रही
अन्दर बैठें तो बीबी।
घर में बैठा ऊब गया हूँ,
देख देख के टीवी।

व्हाट्सएप्प, इंस्टाग्राम करोना,
एक मैसेज १० बार करो ना।
पढ़ पढ़ के सब बोर हो गये,
कहने लगे अब बस भी करो – ना।

बाहर जाना छोड़ के यारों,
घर का ही कुछ काम करो ना।
सुबह कोरोना, शाम कोरोना,
घर में बैठे काम करो ना।

रचना: लीला धर विश्वकर्मा 

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