काव्य समर्पित कर रहा, इस शिक्षक दिवस विशेष l
गुरु ज्ञान की छांव तले, यह जीवन बीते शेष ll
गुरु ज्ञान की छांव तले, यह जीवन बीते शेष ll
धन बल बुद्धि ज्ञान पर, कभी ना हो अभिमान l
मर्यादा का रूप है जिनमें, शिक्षक वही महान ll
मर्यादा का रूप है जिनमें, शिक्षक वही महान ll
गुरु कहूँ ,शिक्षक कहूँ, कहूँ या मैं भगवान l
जिन चरणों में बैठकर हम, जिनसे लेते ज्ञान ll
जिन चरणों में बैठकर हम, जिनसे लेते ज्ञान ll
ज्ञान की राह दिखाएं जो ,सरल करे हर काम l
खुद जलकर रौशन करें, उस को मेरा प्रणाम ll
खुद जलकर रौशन करें, उस को मेरा प्रणाम ll
माता ने यह दिया है जीवन, शिक्षक देते ज्ञान l
सही गलत में भेद है क्या ,करवाते पहचान ll
सही गलत में भेद है क्या ,करवाते पहचान ll
आंखों में जब अश्क दिखे, शिक्षक बन कर मीत l
सारे दर्द समेट ले जो है ,ऐसा अनुपम प्रीत ll
सारे दर्द समेट ले जो है ,ऐसा अनुपम प्रीत ll
गुरु बिन पूरा ज्ञान नहीं ,ना हो पूरा अभियान l
सदा विजय की कामना, करता गुरु महान ll
सदा विजय की कामना, करता गुरु महान ll
उन चरणों में प्राण तजू, प्रभु ऐसा हो वरदान l
जिन चरणों की धूल में बसता पूरा हिंदुस्तान ll
जिन चरणों की धूल में बसता पूरा हिंदुस्तान ll
रचना : लीला धर विश्वकर्मा
Leela dhar vishwakarma
2 Comments
Bahut sundar
Best story in life