बेजुबान…

0
बेजुबान है वो फिर भी,
देखते ही कितनी खुशी जता रहा है।
सिर्फ दो बिस्किट के बदले ही मुझ पर,
अपना सारा प्यार लुटा रहा है।
शिकायतें ही खत्म नहीं होती,
जिस जहां में लोगों की।
लोगों से वो ता-उम्र वफादारी को
चुपचाप अपना मकसद बना रहा है।
रचना: अनुपमा सिन्हा

Leave A Reply