गंगा के आवेग को तूने जटाओं में है संभाला
विष भरे नागों की पहने है गले में माला,
मस्तक तेरा है त्रिनेत्र धारी,
नंदी बैल की करता है सवारी,
अंग तेरे भस्म धारी,
भक्तों को लगे फिर भी
तेरी छवि अति प्यारी।
रचना: अनुपमा सिन्हा
गंगा के आवेग को तूने जटाओं में है संभाला
विष भरे नागों की पहने है गले में माला,
मस्तक तेरा है त्रिनेत्र धारी,
नंदी बैल की करता है सवारी,
अंग तेरे भस्म धारी,
भक्तों को लगे फिर भी
तेरी छवि अति प्यारी।
रचना: अनुपमा सिन्हा