छूता है वही लब जो हृदय के पास होता है,
नजर से दूर वालों की तो बस याद आती हैl
मुकम्मल इश्क करने का मजा तो साथ रहकर है,
अधूरी आशिकी बस अपने जमाने याद करती हैं l
नहीं है सच से मेरा वास्ता, पर सच ही लिखता हूँ ,
कहानी जो लिखी हो प्यार की,वही बस याद आती है l
हम सब के हृदय मे है दबा, एक इश्क का दरिया,
हैं डूबी कस्तीयां कितनी ज़बानी याद आती है ll
नजर से दूर वालों की तो बस याद आती हैl
मुकम्मल इश्क करने का मजा तो साथ रहकर है,
अधूरी आशिकी बस अपने जमाने याद करती हैं l
नहीं है सच से मेरा वास्ता, पर सच ही लिखता हूँ ,
कहानी जो लिखी हो प्यार की,वही बस याद आती है l
हम सब के हृदय मे है दबा, एक इश्क का दरिया,
हैं डूबी कस्तीयां कितनी ज़बानी याद आती है ll
रचना: लीला धर विश्वकर्मा