चाइनीज माल, कोरोना

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जहां देखो वहीं सन्नाटा है,
यह चाइनीज माल बड़ा झन्नाटा है,
हर गली, हर मोहल्ले को रोना आता है,
जिस तरफ से कोरोना गुजर जाता है,
बड़ी ख्वाहिश थी की चाइना हो कर आऊं,
अब तो नाम से भी मेरा आईना डर जाता है,
दर्द है, दहशत है और लाचारी है,
विश्व पर छाई कैसी विपदा भारी है,
मंदिर मस्जिद बंद हो गए हैं,
यह कैसी महामारी है।

रचना : लीला धर विश्वकर्मा 

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