काशी में रंग लीला के संग

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नवरंग में दुनिया सजी, नव रूप में हर शख्स है।
मसानो में होली खेलता, बाबा का हर एक भक्त है ।
रंगों से छाया आसमान, खुशियों से भीगी है ज़मीं।
सब रंग है बस प्रेम के, जो उड़ रहे हैं हर कहीं ।
फूलों की होली चल रही, उत्साह में हर एक गली।
घाटों पर भंगिया पीस कर, सब पूछते का हो चली।
होली मिलन में मस्त सब, अपनों के संग में व्यस्त सब।
काशी से लिपटे आज हैं, भगवान के संग भक्त सब ।

रचना: लीला धर विश्वकर्मा (अजनबी)

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