हम हैं न…!

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भाई ये कहानी है
अजीब प्यार के
अजीब दास्तान की
हम हैं न….!

ऐसे ही बैठे बैठे
श्रीमती जी के साथ
हो रहे थे आशिकाना अंदाज
तभी वो बोली एजी,,,,

कपड़े हो गए पुराने
नये कब हैं बनवाने
हमने भी इजहारे मोहब्बत कर दिया
की…..हम हैं न….!

वो हुई बड़ी खुश
हम भी मन ही मन इतराने लगे
उन्होंने मौके पे ही बोल दिया
हमें जाना है मैके
जरूरत पड़ेगें कुछ पैसे
हमने भी बोल दिया मुस्कुरा के
की…..हम हैं न….!

ये तो कुछ नहीं
असली मज़ा तो अब हैं
वो बात बात में बोल दी
मेरी एक सहेली है
अभी कुआरी है
कोई लड़का दिखे तो बताइएगा
मैं कहा अति उत्साही
तपाक से बोल दिया
की…..हम हैं न….!

फिर क्या था दोस्तो
हड्डियों की बनाती रही
चुरमुरा…..!
जब थक गई
गले लग के बोली
तकलीफ मुझे हुई
दर्द आपको हुआ
आप अब किसी तरफ
जा नहीं सकते क्योंकि
अब आपकी जिंदगी में
जो…!हम हैं न……!

रचना : अश्वनी सिंह

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