कोई सोना बताता है कोई चांदी बताता है,
कोई पत्थर समझ कर के उसे ठोकर लगाता हैl
मोहब्बत ने दिलों की हालत ऐसी बनाई है,
उसी से इश्क होता है जो उसको छोड़ जाता है।
भटक जाता है खुद रास्ता दिखाने वाले ऐ मालिक,
तू जिसके दिल में उल्फत की जब शमां जलाता है।
यकीनन प्यार से चलती है ये दुनिया मगर फिर भी,
मुहब्बत नाम सुनकर के कलेजा हिल ही जाता हैl
ना ही हंसता, नहीं रोता, ना ही वह सुध में रहता है,
यह वो रोग है इंसान जब पागल हो जाता हैl
ये पागलपन जरूरी है अगर इतिहास रचना है,
उसी आशिक के कदमों में जमाना सर झुकाता हैl
कोई पत्थर समझ कर के उसे ठोकर लगाता हैl
मोहब्बत ने दिलों की हालत ऐसी बनाई है,
उसी से इश्क होता है जो उसको छोड़ जाता है।
भटक जाता है खुद रास्ता दिखाने वाले ऐ मालिक,
तू जिसके दिल में उल्फत की जब शमां जलाता है।
यकीनन प्यार से चलती है ये दुनिया मगर फिर भी,
मुहब्बत नाम सुनकर के कलेजा हिल ही जाता हैl
ना ही हंसता, नहीं रोता, ना ही वह सुध में रहता है,
यह वो रोग है इंसान जब पागल हो जाता हैl
ये पागलपन जरूरी है अगर इतिहास रचना है,
उसी आशिक के कदमों में जमाना सर झुकाता हैl
रचना- लीला धर विश्वकर्मा