मेरे दिल में रख दो…

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निगाहों में जो लाए हो, मेरे दिल में यहां रख दोl
नफरत हो मोहब्बत हो ,मेरी सांसो में सब रख दो ll
हमें तो शाम भी प्यारा ,हमें तो राम भी प्यारेl
हृदय में है बसे दोनों ,भले कोई भी रब रख दो ll
यकीनन इश्क के मंजर को जाती है कई राहेंl
धड़कन ढूंढ लेगी सब, भले मंजिल कहीं रख दो l l
पुजारी है तो सावन के, मगर महबूब पतझड़ केl
गुलिस्ता हम बसा लेंगे, भले मौसम को कहीं रख दो ll
है शमशान सी सुनी ,हमारे दिल की यह बस्तीl
बहुत से दफ्न  है अंदर, लाओ एक और रख दो ll
बुरा तो हूं यकीनन मैं, बुराई साथ रखता हूंl
बुराई सब में निकलेगी ,भलाई लाख तुम रख दो ll
आओ मिल के बैठो पास ,धड़कन के हमारे तुमl
अगर हमसे मोहब्बत है ,अकड़ अपनी कहीं रख दो ll
होता है यकीनन सच में, इतना हौसला रक्खोl
दब जाते हैं सारे झूठ, बस एक सच यहां रख दो ll
रचना : लीला धर विश्वकर्मा 

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