भोलेनाथ

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नादान है इंसान ये समझ नहीं पाता है
करता वो है मगर सब तु ही करवाता है
रास्तों पे चलते भले हम है मगर
मंजिलों से तो भोलेनाथ ही मिलवाता है।

रचना: अनुपमा सिन्हा

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