तेरा चेहरा नजर आता है…

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मैं अपनी नजरों से लक्ष्य को भटकाऊ कैसे,
वंहा मुझे तेरा चेहरा नजर आता है,
कैसे कहूं, किससे कहूं,
मेरे लक्ष्य में मुझे तू नजर आता है,
होश भी नहीं रहा मुझे खुद का,
जब से होश संभला सा नजर आता है,
जिंदगी का हर पहलू मुझे,
अब सुलझा सा नजर आता है,
बीता हुआ कल मुझे,
चंद लम्हों सा नजर आता है,
जब तेरा चेहरा नजर आता है,
जब तेरा चेहरा नजर आता है।
रचना : अश्वनी सिंह

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