गुज़र जाने दो…

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दुखी मन की इस पीड़ा पर फिर से बरसने को ,
बस अब ये स्नेह की बरसात गुज़र जाने दो।
तकाज़े ये दिल के याद बन के तो आनी ही है,
फिर गुजरती है तो हर एक बात गुज़र जाने दो।
हम अपने से गुफ्तगूँ कर लेंगे आपकी जगह,
परवाह नहीं इसकी, ये मुलाक़ात गुज़र जाने दो।
साथ आपके होने पर भी न रहे साथ,
मेरी तन्हाईयाँ तो अपने साथ गुज़र जाने दो

रचना: नम्रता गुप्ता 

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