मुझे जान लोगे और पहचान लोगे

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मुझे जान लोगे और पहचान लोगे
तो समझूंगा के तुम हृदय थाम लोगे,
यहाँ से अगर तुम वहां भी गए तो
मुझे भूल कर भी मेरा नाम लोगे,
अगर तुमने जाना मेरी हर ज़फ़ा को
ज़फाओं को भी तुम वफ़ा नाम दोगे,
मेरी काव्य की हर कला में बसे हो
जो दिल से पढोगे दुआ नाम दोगे,
अगर मेरा चेहरा भुला भी दिया तो
ये दवा है के नाम बता फिर भी दोगे,
हमारा है क्या हम हवा में हैं शामिल
हवा जो चलेगी तो पहचान लोगे,
कभी गर जो टूटेगा दिल ये तुम्हारा
तो तन्हाई में भी मेरा नाम लोगे,
अगर मैंने तुमको भुला भी दिया तो
यादों की खिड़की पे दस्तक तो दोगे,
ये चाहत की दीवार नीची नहीं है
के इतनी सरलता से तुम फांद लोगे।

रचना : लीला धर विश्वकर्मा

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